जब तक रहेगी ज़िन्दग़ी फ़ुर्सत नहीं होगी काम से कुछ समय ऐसा निकालो! जब तक रहेगी ज़िन्दग़ी फ़ुर्सत नहीं होगी काम से कुछ समय ऐसा निकालो!
मैंने ईश्वर को देखा प्रत्यक्ष मैंने ईश्वर को देखा प्रत्यक्ष
ये कविता एक प्रेमी की आवाज़ है। ये कविता एक प्रेमी की आवाज़ है।
दिल को नही मालूम कि वो क्या कर बैठा दिल को नही मालूम कि वो क्या कर बैठा
कोई नहीं चाहता खुद को बदलना वक्त हालात लोग बदलने को मजबूर कर देते हैं। कोई नहीं चाहता खुद को बदलना वक्त हालात लोग बदलने को मजबूर कर देते हैं।
आंखों से दिल में उतारना सीख लिया है अब कोई गम नहीं...। आंखों से दिल में उतारना सीख लिया है अब कोई गम नहीं...।